नमस्कार दोस्तों
वैसे तो जीवन में हमें अनेक जगहों से बहुत सी अच्छी बातें सुनने और सिखने को मिलती हैं। पर हम उन सभी बातों को सुनकर नही सीख पाते। क्योँकि, असल में सिखने की एक प्रक्रिया हैं। जब तक प्रत्यक्ष रूप से हम किसी बात को अनुभव नहीं कर लें, या प्रायोगिक रूप से उसको खुद अनुभव नही कर ले, हमारा दिमाग और हमारी ज्ञानेन्द्रीयां उसको ग्रहण नही कर पाती।
हालांकि प्रत्येक व्यक्ति की सिखने की क्षमता उसकी बुद्धिलब्धी पर निर्भर करती हैं, किसी की IQ अधिक हैं, तो उसका दिमाग और शरीर किसी भी सिखने योग्य बात को एक बार पढकर अथवा सुनकर ही सीख लेता हैं, और किसी की IQ कम हो तो वो इन्सान खुद करके भी आसानी से नही सीख पाता।
पर बहुत सी बातें हम अपने जीवन होने वाली घटनाओं के आधार पर आसानी से सीख लेते हैं, जिनके आधार पर हम अपने जीवन को जीना सीख लेते हैं, गलत और सही का फैसला आसानी से कर पाने की क्षमताएं अपने आप हमारे अन्दर विकसित हो जाती हैं।
अक्सर इस मतलबी दुनियां में एक इन्सान दुसरे इन्सान का अपने स्वार्थ के लिये इस्तेमाल करता हैं। हम इस्तेमाल होने से बच सकते हैं, पर इसके लिये हमें आत्मज्ञान अथवा आत्मअनुभव होना आवश्यक हैं।
हमारी भलाई और हमारी बुराई, क्या करने में हैं, या क्या नही करने में हैं, इसका आभास हमें हमारा दिमाग तभी करवा पाने में सक्षम हैं, जब हमने एकाग्रचित्त हो कर सोचने समझने की कला को सिद्ध कर लिया हो। ये ज्यादा सोचनीय या करने योग्य क्रिया नही हैं। दैनिक जीवन में आनेवाली परिस्तिथियों पर शान्तिपूर्वक, ठंडे दिमाग से सोच समझ कर फैसला लेने की आदत डाल लेने मात्र से हम इस कला में पारंगत हो सकते हैं। जब भी कोई विशेष परिस्तिथि आये, अपने आप से ही उसका समाधन जानने का प्रयास करें, क्योँकि आपसे बेहतर आपको कोई नही जानता। आपके पास उपलब्ध संसाधनों और आपकी क्षमताओं के बारे में आपसे बेहतर कोई नही जानता। तो आई हुई परिस्थिति का समाधान भी आपके लिये आपसे बेहतर कोई नही बता सकता। याद रखने की आदत डाल लो, याद होना शुरू हो जाएगा, लिखने की आदत डाल लो, पढ्ने की आदत पड़ जायेगी, लापरवाही करने की आदत डाल लो, हर काम में लापरवाही की आदत पड़ जायेगी।
कोशिश करें, खुद के लिये बेहतर होने की। दुनिया के लिये अपने आप बेहतर हो जाओगे।
खुश रहें, खुश रखे।
शुभ रात्री।